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Friday, September 22, 2017

बहुत बरसों के बाद

बहुत बरसों के बाद आयी है
बीते बचपन की यादें
जिसमें देखी थी
ईद और होली से बढ़कर
गले मिलते, रंग लगाते
भाई-भाई का प्यार
जहाँ हर कोई था खुशहाल। 


बहुत बरसों के बाद ..

बहुत बरसों के बाद देखी है
वो पीपल की हरियाली
जहाँ गुजारी थी बचपन
पीपल खड्डरों में छुप-छुपकर
कभी खेली थी-लुकछुपीया खेल ।


बहुत बरसों के बाद ..

बहुत बरसों के बाद सुनी है
वो अल्ल्हर किलकारियाँ-बच्चों के संग
उन पीपल के चबुतरों पर
जहाँ कभी खरीदी थी, मेले में
गुड्डा गुड्डी का मेल 


बहुत बरसों के बाद ..


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