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Monday, September 29, 2014

कसक

थोड़ी-सी फर्क है जो
अक्सर मैं भूल जाता हूँ ।।

 वो मेरा प्यार है या
दिल की दुआ ना सोच पाता हूँ


कुछ तो है खास जो
दिल में इतनी कसक होती है
उनकी तस्वीर मिटा देता हूँ
और हर रोज छप जाती है


नयन मिल जाए तो बस
इशारों से बात करती है
वो बावली है मैं दीवाना
समझ नहीं पाता हूँ ।


थोड़ी-सी फर्क है जो
अक्सर मैं भूल जाता हूँ ।।


कई हैं शब्द जो हर बार
मैं उनसे कहता हूँ
और वो हैं जो अपनी
हर बात छुपाते है


आज भी ताजा है वो जख्म
और एहसास उनके वादों का
फिर भी वो कहते हैं करो
पल-दो-पल मिलने की बात


वो सलामत रहें हर साल
नई खुशियों के संग
यादों मे जिनकी मैं
हर पल मुस्कुराता हूँ ।


थोड़ी-सी फर्क है जो
अक्सर मैं भूल जाता हूँ ।।


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