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Sunday, January 7, 2024

जाने अनजाने

जाने अनजाने क्यूँ पास बुला लेते है ।
बढ़ा के हाथ दोस्ती का छुड़ा लेते है ।।

जाने अनजाने क्यूँ पास बुला लेते है…

क्या करूँ मैं गिला, किस से करूँ शिकवा,
जो है दस्तूर वो, हँस-हँस के निभा लेते है।

जाने अनजाने क्यूँ पास बुला लेते है…

मैं तन्हा हूँ, सोचता हूँ, क्यूँ होता है अक्सर,
बिठा के पलकों पे, नजरों से गिरा देते है।
जाने अनजाने क्यूँ पास बुला लेते है…


क्यूँ किया ऐसा, हूँ जान के हैंरा,
अपनी कमजोरी मगर, हर लोग छुपा लेते है।
जाने अनजाने क्यूँ पास बुला लेते है ।
बढ़ा के हाथ दोस्ती का छुड़ा लेते है ।।


Tuesday, May 30, 2023

वक्त बड़ा ही कम होता है

वक्त बड़ा ही कम होता है,
मिलने का जब मौसम होता है ।

तेरी लवों से जो बातें बिखरे,
जख्म पे वो मलहम होता है।
दर्द बड़ा ही कम होता है ।।
वक्त बड़ा ही कम होता है..


सुना है मुहल्ले की शान वो है,
मेरी मुहब्बत की पहचान वो है ।
फर्क बड़ा है मुझमें उसमे,
इसी बात का गम होता है ।।
वक्त बड़ा ही कम होता है..


यूँ तो उनका है अजीब किस्सा,
मिला है जो मुझको- है मेरा हिस्सा ।
चंद दिनो की है बात घायल,
प्यार मे कभी ऐसा होता है ।।


वक्त बड़ा ही कम होता है,
मिलने का जब मौसम होता है ।।


Saturday, January 2, 2021

क्या किस्सा था

क्या किस्सा था अपना 
क्या क्या अफ़साने बना दिये
क्या नया रिश्ते बनायें
जब, जो अपनें थे
अब पराये हो गये।

कुछ पल ठहरता जो
अरमां, मचले हुए
देखते देखते वो 
शाम ढल गऐ।

थोड़े एहसास 
और धुंघली यादों में
चल परे जिस राह
वहाॅ, सब बिछुड़ते चले गये ।

अब तन्हाई है, पर सुकुन है यारों
संजोये रखा था जो,
दर्द अपने सीने में
कुछ इस तरह, छलका कि
भुला दिये सब गिले ।।

Sunday, August 18, 2019

कहाँ थे पास कभी

''कहाँ थे पास कभी 
नजरों से ही दूर चले

मचलता दिल जहाँ 
वो दुनियाँ को ही छोड़ चले

क्या करुं कि जब 
ख्वाबों की तस्वीर बनी बैठी हो

तड़पता छोड़कर गमें दिल 
गमों से दूर चले।।''





Sunday, July 22, 2018

जुल्फें बिखेर इस कदर चेहरे पे

जुल्फें बिखेर इस कदर चेहरे पे 
इक अंदाज में, 
होंठो पे मुस्कान लिए

मीठी-मीठी अंगड़ाइयाँ भरती
आँखों में शबनम की छाँव लिए

आकर वो मेरे दिल में दस्तक दी 
और बोली-तुम्हारा दिल चाहिए
अपनें दिल में आइने के लिए।।

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