नसीहत उनको ना दीजिए
जो कभी ठोकर खायें हैं
नफरत उनसे ना कीजिए
जो कभी ठुकरा कर आए हैं
क्या मिला है जमानें को
किसी के सराफत को जलाकर
जो अपनी हकीकत और प्यास
झूठी वादों से बुझाये हैं ।।
जो कभी ठोकर खायें हैं
नफरत उनसे ना कीजिए
जो कभी ठुकरा कर आए हैं
क्या मिला है जमानें को
किसी के सराफत को जलाकर
जो अपनी हकीकत और प्यास
झूठी वादों से बुझाये हैं ।।