सोचा था किसी के सहारे
जिंदगी पार कर जाएँ
जो भी मुश्किलें आये
उसे आसान कर जाएँ
पर लगता है अब ना तो
कोई सहारा है-ना कोई मंजिल
फिर क्यूँ ना हर्ष-ए-जिंदगी
कुर्बान कर जाएँ ।।
जिंदगी पार कर जाएँ
जो भी मुश्किलें आये
उसे आसान कर जाएँ
पर लगता है अब ना तो
कोई सहारा है-ना कोई मंजिल
फिर क्यूँ ना हर्ष-ए-जिंदगी
कुर्बान कर जाएँ ।।