जा रहा हूँ इस मौसम में
उनके पास-पास रहके
मिलूँ या मिलूँ फिर दिल से
उनके साथ-साथ रहके ।
हजार गम है खुशियाँ है
प्यार के इस मौसम में
मैं खुद बहक चुका हूँ
बहकी-बहकी बात सुनके ।
तरस जाता हूँ तड़प जाता हूँ
एक मुस्कान के खातिर
जब वो ना माने रो लेता हूँ
यूँ ही तन्हा-तन्हा रहके ।
प्यार अब भी बाकी है
पतझड़ के इस मौसम में
मुझे विश्वास है पूरी होगी
मिलन की आशायें लेके ।
जा रहा हूँ इस मौसम में
उनके पास-पास रहके ।।
उनके पास-पास रहके
मिलूँ या मिलूँ फिर दिल से
उनके साथ-साथ रहके ।
हजार गम है खुशियाँ है
प्यार के इस मौसम में
मैं खुद बहक चुका हूँ
बहकी-बहकी बात सुनके ।
तरस जाता हूँ तड़प जाता हूँ
एक मुस्कान के खातिर
जब वो ना माने रो लेता हूँ
यूँ ही तन्हा-तन्हा रहके ।
प्यार अब भी बाकी है
पतझड़ के इस मौसम में
मुझे विश्वास है पूरी होगी
मिलन की आशायें लेके ।
जा रहा हूँ इस मौसम में
उनके पास-पास रहके ।।