रखी जो शोला इश्क की
हथेली पे हमने
खुद को लगा किसी बफीर्ली
झरनों से जा मिले
ऐसा एहसास तब तक रहा
जबतक कि तुम करीब थी
जाने के बाद तेरे क्यूँ
मेरा जनाजा निकलने लगा ।।
हथेली पे हमने
खुद को लगा किसी बफीर्ली
झरनों से जा मिले
ऐसा एहसास तब तक रहा
जबतक कि तुम करीब थी
जाने के बाद तेरे क्यूँ
मेरा जनाजा निकलने लगा ।।