यूँ ही चुपचाप क्यूँ
जीता रहूँ किसी के लिए
जो मेरे साथ ना बसर कर सकी
एक पल के लिए
लगता है रूक गई ये वक्त
भूलकर मंजिल
अपनी तो मंजिल ही गम दे गई
सदा के लिए ।।
जीता रहूँ किसी के लिए
जो मेरे साथ ना बसर कर सकी
एक पल के लिए
लगता है रूक गई ये वक्त
भूलकर मंजिल
अपनी तो मंजिल ही गम दे गई
सदा के लिए ।।