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Wednesday, March 1, 2017

एक जाम तेरे नाम

तुम चले आओ मेरी जान
हमें सम्भालों ना
कितनी तन्हाई हैं 
ये कितना सूनापन
बीत रहे वर्षो सा 
अपना हर इक धड़कन।
दिलों के बीच की ये दूरी 
थोड़ी घटा दो ना
तुम चले आओ मेरी जान
हमें संभालों ना।

जब ना तुम होते हो
दर्द बढ़ जाता है
गमें जुदाई का 
इतना तड़पाता है
मेरी अरमां है जो मिलने की
उसे भूला दो ना
तुम चले आओ मेरी जान
हमें सम्भलों ना।

जब ना तुम आओगे 
मैं तो मर जाउँगा
इससे पहले कि मेरा 
दम टूट जाएगा 
मेरी साँसों को 
अपनी साँसों से जरा मिला दो ना
तुम चले आओ मेरी जान
हमें सम्भलों ना।।


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