''कहाँ थे पास कभी
नजरों से ही दूर चले
मचलता दिल जहाँ
वो दुनियाँ को ही छोड़ चले
क्या करुं कि जब
ख्वाबों की तस्वीर बनी बैठी हो
तड़पता छोड़कर गमें दिल
गमों से दूर चले।।''
नजरों से ही दूर चले
मचलता दिल जहाँ
वो दुनियाँ को ही छोड़ चले
क्या करुं कि जब
ख्वाबों की तस्वीर बनी बैठी हो
तड़पता छोड़कर गमें दिल
गमों से दूर चले।।''