जिंदगी वो जिंदगी
मुझसे मत कर दिल्लगी
हूश्न की महफिल में
जानें बना गई क्यूँ अजनवी
रूठ जाएगी इस कदर
हमको ना थी इसकी खबर
मिलनें की तुझसे आरजू में
बढ़ते रहे अपने डगर
अब आती ना झलकें यार की
ना प्यार की परछाईयाँ
फिर भी मिलन की आश में
मन ले रही अंगराईयाँ
शायद मिटा पाउँगा दिल से
तेरी ये रूसबाईयाँ
बदल गई क्यूँ इस कदर
जैसे की समतल खाईयाँ
जिंदगी के हर सफर में
बस तेरी ही है कमी
जिंदगी वो जिंदगी
मुझसे मत कर दिल्लगी ।।
मुझसे मत कर दिल्लगी
हूश्न की महफिल में
जानें बना गई क्यूँ अजनवी
रूठ जाएगी इस कदर
हमको ना थी इसकी खबर
मिलनें की तुझसे आरजू में
बढ़ते रहे अपने डगर
अब आती ना झलकें यार की
ना प्यार की परछाईयाँ
फिर भी मिलन की आश में
मन ले रही अंगराईयाँ
शायद मिटा पाउँगा दिल से
तेरी ये रूसबाईयाँ
बदल गई क्यूँ इस कदर
जैसे की समतल खाईयाँ
जिंदगी के हर सफर में
बस तेरी ही है कमी
जिंदगी वो जिंदगी
मुझसे मत कर दिल्लगी ।।