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Sunday, November 23, 2014

उनकी याद

कितने सावन बीत गये
ये नजरे उन्हें ही ढूँढता है,
उनके बिना घर, आज भी अपना
सूना-सूना रहता है ।।


बीता पतझर आयी हरियाली
बीता कल फिर आज है आयी,
रंग बिरंगे फूल बाग में
भबंरे के संग रास रचाये ।
कितने सावन बीत गये
ये नजरे उन्हें ही ढूँढता है ।


वो अपना वादा क्यूँ भूले
मिलने की चाहत क्यूँ छोड़े
दर्द में जूंजते कर मायूस वो
दिल से दूर जब चले जाते है
दिल ढूंढकर थक जाता है
याद उन्ही की हर पल आती है,


कितने सावन बीत गये
ये नजरे उन्हें ही ढूँढता है,
उनके बिना घर, आज भी अपना
सुना-सुना रहता है ।।

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