कोई रूठी है कब से
और मेरे पास रहती है
हकीकत में ना दिल की
कोई बात करती है
समझ में कुछ नहीं आता
कैसे मनाऊँ मेरे परवर
उसकी खामोशी ही
जख्म पे आघात करती है ।।
और मेरे पास रहती है
हकीकत में ना दिल की
कोई बात करती है
समझ में कुछ नहीं आता
कैसे मनाऊँ मेरे परवर
उसकी खामोशी ही
जख्म पे आघात करती है ।।