गम तो बहुतों दिए-
भला किससे बाटूँ
अब तो बतला दे-
इन जख्मों के सहारे,
इक- इक पल कैसे काटूँ ?
ना कोई चाहने वाला-
ना कोई साथ चलने वाला,
बस भीड़ मे हूँ अकेला-
किस आश में चलता जाऊँ ?
ना कोई पहचान-
ना कोई सम्मान
बस थोड़े से एहसास-
और कुछ भी न आसपास,
इस विरान में-
अपने अरमान किससे बाटूँ ?
चुप है हवा-
खामोश है फिजां
धड़कनों की ये संगीत
होठों तक कैसे लाऊँ ?
प्यास है बहुत-
मन में आश है बहुत
मंजिलें है कितनी-
पर दूरियाँ बहुत,
इन दूरियों के रहते-
तेरे पास कैसे आऊँ ?
भला किससे बाटूँ
अब तो बतला दे-
इन जख्मों के सहारे,
इक- इक पल कैसे काटूँ ?
ना कोई चाहने वाला-
ना कोई साथ चलने वाला,
बस भीड़ मे हूँ अकेला-
किस आश में चलता जाऊँ ?
ना कोई पहचान-
ना कोई सम्मान
बस थोड़े से एहसास-
और कुछ भी न आसपास,
इस विरान में-
अपने अरमान किससे बाटूँ ?
चुप है हवा-
खामोश है फिजां
धड़कनों की ये संगीत
होठों तक कैसे लाऊँ ?
प्यास है बहुत-
मन में आश है बहुत
मंजिलें है कितनी-
पर दूरियाँ बहुत,
इन दूरियों के रहते-
तेरे पास कैसे आऊँ ?