बड़ी मुद्दत के बाद
मैंने तुमको पाई है
बहुत कोशिश की
कितना तुझको चाहा
शायद तुमने भी मुझे
इसलिए अपनाया है
फक्ऱ नहीं करता मैं खुद पर
तारीफ़ करता हूँ मैं तेरी
क्यूँ कि
तुमने जिससे मिलवाया है
वो कितनी सुंदर है
कितनी प्यारी है
मेरी जान है वो
मेरा हमसाया हैं।।
मैंने तुमको पाई है
बहुत कोशिश की
कितना तुझको चाहा
शायद तुमने भी मुझे
इसलिए अपनाया है
फक्ऱ नहीं करता मैं खुद पर
तारीफ़ करता हूँ मैं तेरी
क्यूँ कि
तुमने जिससे मिलवाया है
वो कितनी सुंदर है
कितनी प्यारी है
मेरी जान है वो
मेरा हमसाया हैं।।